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भागलपुर में क्या हुआ ऐसा कि शर्मसार हो रहे बिहार के लोग, सब कह रहे-ऐसा नहीं करना चाहिए

आशीष रंजन/भागलपुर. सहायक थाना बबरगंज थाना क्षेत्र के अलीगंज चौक स्थित ठाकुरवाडी के पास मानवता को शर्मसार करने वाला एक वाकया देखने को मिला है. यहां कूड़े के ढेर के पास खड़े लोग आपस में बात कर रहे थे कि ऐसा नहीं करना चाहिए. आस पास कुछ कुत्ते भी मंडरा रहे थे. यहां लोगों का समूह थाना फोन करने और पुलिस बुलाने की बात कह रहा था. कुछ लोगों ने तभी थाना में फोन भी लगा दिया. इसी बीच पुलिस पहुंची तो दृश्य देखकर पहले तो ठिठक गई. फिर कर्तव्य निभाने को आगे बढ़ी.

दरअसल, ठाकुरबाड़ी के पास एक नवजात शिशु को कूड़े के ढेर पर किसी ने फेंक दिया था. बताया जा रहा है कि आसपास जा रहे लोगों की नजर जब नवजात पर पड़ी तब इसकी सूचना स्थानीय थाना को दी गई. थाना से पुलिस दल पहुंचा तो वह भी इस दृश्य को देखर द्रवित हो गया. हालांकि, इसके बाद बबरगंज थाना पुलिस ने नवजात शिशु के शव को कब्जे में कर लिया और पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया.

लोग कह रहे-ऐसा नहीं करना चाहिए

वहीं, इस तरह की घटना को लेकर लोग कह रहे हैं कि नवजात को इस तरह से नहीं फेंका जाना चाहिए था. बच्चों को किसी अनाथ आश्रम को दे देना चाहिए था. इस तरह से बच्चे को फेंक जाने को लेकर आसपास के लोग सवाल खड़े कर रहे हैं कि आसपास के नर्सिंग होम के द्वारा इस तरह का कुकृत्य किया जा रहा है, इस पर प्रशासन को कार्रवाई करनी चाहिए.

5 साल भी पूरा नहीं कर पातीं 182 लड़कियां

बता दें कि बिहार में जन्म के 5 साल पूरा होने के बाद 182 बेटियों की मौत हो जाती है. राष्ट्रीय पारिवारिक स्वास्थ्य सर्वेक्षण यानी एनएफएचएस-5 के अनुसार बिहार में प्रति 1000 लड़कों पर 1090 लड़कियों का जन्म हो रहा है, लेकिन 5 साल की उम्र होने के बाद इनकी संख्या घटकर 908 हो जा रही है, जबकि राष्ट्रीय स्तर पर प्रति हजार लड़कों पर 1020 लड़कियों का जन्म हो रहा है 5 साल की बाइट तक इसमें 929 ही जीवित रह पा रही हैं.

47 बच्चे एक साल भी पूरा नहीं कर पाते

एनएफएचएस-5 के अनुसार, बिहार में 47 बच्चे अपना पहला जन्मदिन दिन नहीं बना पाते हैं. राज्य में प्रति हजार बच्चों पर शिशु मृत्यु दर 1 साल तक के बच्चे 47 है, जबकि 5 साल तक की उम्र तक 56 बच्चों की मौत हो जा रही है. एनएफएचएस-5 की रिपोर्ट के अनुसार, प्रति हजार बच्चों में मुस्लिम समाज में 50, हिंदू समाज में 46, अनुसूचित जाति में 48 एवं पिछड़ा वर्ग में 46 बच्चों की मौत होती है.

मुस्लिम समाज में बहुत अधिक प्रजनन दर

एनएफएचएस-5 की रिपोर्ट के अनुसार, 15 से 49 वर्ष की आयु की प्रजनन वाली माता में और शिक्षित माता की प्रजनन दर 3.7% है, जबकि पांचवी तक की शिक्षित माता के प्रजनन दर में 3.5, 5वीं से 9वीं तक की शिक्षित माता में तीन, 10वीं व 11वीं तक की शिक्षित माता में 2.4 और 12वीं कक्षा या उससे अधिक शिक्षित माता में 2.2 है. हिंदू समाज में प्रजनन दर 2.88 है तो मुस्लिम समाज में 3.6 3% है.

लड़कियों की शिक्षा का असर समाज पर

एनएफएचएस 4 के मुताबिक वर्ष 2015-16 में प्रति 1000 नवजात शिशु में 48.11 नवजात की मृत्यु हो जाती थी, जबकि हाल में जारी एनएफएचएस-5 में अब तक यह संख्या 46.8 है. टीकाकरण की सुविधा बढ़ाने व संस्थागत प्रसव के कारण भी नवजात शिशु मृत्यु दर में कमी आई है. राज्य में परिवार नियोजन को लेकर भी सुधार दिखा है. 2015-16 में एनएफएचएस की रिपोर्ट में 15 से 49 वर्ष की मात्र 24.01% महिलाओं ने ही परिवार नियोजन को अपनाया था, जबकि एनएफएस 5 के मुताबिक यह संख्या बढ़कर अब 55.8% हो गई है.

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